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तकनीकी विश्लेषण में संकेतक (इंडिकेटर) (Indicators)

तकनीकी विश्लेषण (Techical Analysis) में संकेतक (इंडिकेटर) गणितीय उपकरण (mathematical instrument) होते हैं जिनका उपयोग टेक्निकल चार्ट पर किया जाता है। ये संकेतक (इंडिकेटर) अतीत मूल्य (historical data) और आयतन डेटा (volume data) का विश्लेषण करके भविष्य के मूल्य आंदोलनों (price movement) के बारे में संकेत देने का प्रयास करते हैं।

  • ट्रेंड की पहचान: संकेतक (इंडिकेटर) आपको यह पहचानने में मदद करते हैं कि बाजार ऊपर की ओर जा रहा है, नीचे की ओर जा रहा है या स्थिर है।
  • खरीद और बिक्री के संकेत: कुछ संकेतक (इंडिकेटर) ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्थिति की पहचान करने में मदद करते हैं, जो संभावित ट्रेड  में प्रवेश और निकलने का संकेत दे सकते हैं।
  • समर्थन और प्रतिरोध को मजबूत करना: संकेतक (इंडिकेटर) पारंपरिक समर्थन (support) और प्रतिरोध (resistance) स्तरों की पुष्टि करने में मदद कर सकते हैं।
  • बाजार की गति को मापना: संकेतक (इंडिकेटर) बाजार की गति को मापने में मदद करते हैं, जो आपको यह तय करने में मदद कर सकता है कि ट्रेड में शामिल होना है या नहीं।

तकनीकी विश्लेषण (Techical Analysis) में संकेतकों को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। आइए हर श्रेणी को अधिक विस्तार से देखें:

1. ट्रेंड इंडिकेटर (Trend Indicators):

ये संकेतक (इंडिकेटर) बाजार की प्रवृत्ति की दिशा और शक्ति को निर्धारित करने में मदद करते हैं। वे आपको यह बताते हैं कि बाजार ऊपर की ओर जा रहा है, नीचे की ओर जा रहा है या एक सीमा के भीतर स्थिर है।

कुछ लोकप्रिय ट्रेंड इंडिकेटर हैं:

  • सरल चलती औसत (Simple Moving Average – SMA): यह अतीत की एक निश्चित अवधि की औसत कीमत है। बढ़ती हुई SMA एक तेजी प्रवृत्ति का संकेत देती है, जबकि घटती हुई SMA एक मंदी का संकेत देती है।
  • घातीय चलती औसत (Exponential Moving Average – EMA): यह SMA का एक प्रकार है जो हाल के मूल्यों को अधिक भार देता है। यह मूल्य में नवीनतम परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।
  • मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (MACD): यह दो चलती औसतों के बीच के अंतर और उनके अंतर के चलती औसत का उपयोग करके ट्रेंड की दिशा, शक्ति और संभावित ट्रेंड रिवर्सल को मापता है।
  • बोलिंगर बैंड्स (Bollinger Bands): ये एक चलती औसत के ऊपर और नीचे खींचे गए दो बैंड होते हैं। बैंड की चौड़ाई बाजार की अस्थिरता को इंगित करती है। संकरा बैंड कम अस्थिरता का संकेत देता है, जबकि चौड़ा बैंड उच्च अस्थिरता का संकेत देता है।

2. मोमेंटम इंडिकेटर (Momentum Indicators):

ये संकेतक (इंडिकेटर) मूल्य परिवर्तन की गति और दिशा को मापते हैं। वे आपको यह बताते हैं कि मूल्य कितनी तेजी से बढ़ रहा है या घट रहा है।

कुछ लोकप्रिय मोमेंटम इंडिकेटर हैं:

  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index – RSI): यह 0 से 100 के पैमाने पर स्टॉक की हालिया मूल्य वृद्धि और गिरावट को मापता है। उच्च RSI ओवरबॉट स्थिति का संकेत दे सकता है, जबकि कम RSI ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत दे सकता है।
  • रेट ऑफ चेंज (Rate of Change – ROC): यह एक निश्चित अवधि में मूल्य परिवर्तन की प्रतिशतता को मापता है। बढ़ता हुआ ROC तेजी से बढ़ते मूल्यों का संकेत देता है, जबकि घटता हुआ ROC कमजोर पड़ते बाजार का संकेत देता है।
  • विलियम्स %R: यह एक ओवरसोल्ड और ओवरबॉट ऑसिलेटर है जो 0 से 100 के पैमाने पर चलता है। निचले मान ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत देते हैं, जबकि उच्च मान ओवरबॉट स्थिति का संकेत देते हैं।

3. वोलेटिलिटी इंडिकेटर (Volatility Indicators):

ये संकेतक (इंडिकेटर) बाजार की अस्थिरता को मापते हैं। वे आपको यह बताते हैं कि मूल्य कितनी तेजी से ऊपर और नीचे उछाल रहा है।

कुछ लोकप्रिय वोलेटिलिटी इंडिकेटर हैं:

  • एवरेज ट्रू रेंज (Average True Range – ATR): यह अतीत की एक निश्चित अवधि में वास्तविक मूल्य सीमा, ऊपर की ओर और नीचे की ओर कीमतों के बीच के अंतर और पिछले बंद भाव के बीच के अंतर के औसत मूल्य को मापता है। उच्च ATR उच्च अस्थिरता का संकेत देता है, जबकि कम ATR कम अस्थिरता का संकेत देता है।
  • बोलिंगर बैंड्स (Bollinger Bands): जैसा कि ऊपर बताया गया है, बोलिंगर बैंड की चौड़ाई बाजार की अस्थिरता को इंगित करती है।